Business idea : मात्र 2 एकड़ में करे यह खेती सालाना होगी 10 लाख तक की कमाई।
Agriculture Business Idea :
कृषि भारतीय अर्थव्यवस्था की रीढ़ है। आर्थिक सर्वेक्षण 2020-21 के तहत जीडीपी में कृषि की हिस्सेदारी बढ़ी, भारत देश की 70% आबादी कृषि पर निर्भर करती है। इसी के बाद यह जानना जरुरी हो जाता हे की केसे हम भी कृषि के माध्यम से अपनी आय में वृद्धि कर सकते है।
आज हम कृषि क्षेत्र में ( खेती का बिजनेस आइडिया ) खेती करने का एक ऐसा आईडिया बताएंगे जिसके माध्यम से आप खेती करके लाखो कमा सकते हो। वास्तव में हमारे पास एक ऐसा उदाहरण जिसे जानने के बाद आप भी यकीन हो जायगा की कृषि के माध्यम से आप लाखो की कमाई कर सकते है।
Business idea : अंगूर की खेती : किसान शांतिलाल पटेल जी के अनुसार
खेती का बिजनेस आइडिया :
भारत के गुजरात राज्य के सुरेंद्रनगर में रहने वाले शांतिलाल पटेल नामक किसान के अनुसार, 2 एकड़ के क्षेत्र में अंगूर की खेती करके 10 लाख तक का मुनाफा कमाया | खेती का बिजनेस आइडिया अधिक मुनाफे वाला बिज़नेस है|
किसान शांति लाल पटेल बताते हे की वह पिछले कई साल से खेती कर रहे है। और वह पारम्परिक खेती किया करते थे। जिसमे उन्हें कुछ खास मुनाफ नहीं होता था। उन्हें कई दिक़्क़तों का सामना करना पड़ता था। और कई बार तो नुकसान भी उठाना पड़ता था।
अंगूर की खेती का विचार :
किसान शांतिलाल पटेल जी को अंगूर की खेती का विचार करीब ५ साल पहले आया था ,जब वह नासिक गए थे और उन्होंने वह बड़े पैमाने पर अंगूर की खेती होते हुआ देखी जिसके बाद उन्होंने अंगूर की खेती को करीब से जाना और उन्हें पता चला की अंगूर की खेती करके किसान काफी अच्छा मुनाफ कमा रहे है। जिसके बाद उन्होंने अंगूर की खेती करने का निर्णय लिया।
अंगूर के पौधो और उत्पादन
किसान शांतिलाल जी कहते हे की मैंने करीब 1800 अंगूर के पौधो के साथ यह 2 एकड़ के क्षेत्र में अंगूर की खेती शुरू की थी। अंगूर के यह 1800 पौधे मैं नासिक से लाया था। और इन 1800 अंगूर के पौधे से उन्हें 12 टन अंगूर का उत्पादन हुआ।और फिर यह १२ टन अंगूर को मेने ८० रूपए प्रति किग्रा. के हिसाब से बाजार में बेचे हमने दूसरे राज्य के व्यापारीओ को भी अंगूर बेचे।
अंगूर की खेती में निवेश और समय :
अंगूर के पौधे से लेकर फल आने तक 13 लाख तक का खर्चा आता है। एक औसत अंगूर की बेल रोपाई के लगभग 7-8 साल बाद परिपक्व होती है और अधिकतम उपज देना शुरू करती है। अंगूर की खेती में आपको पौधे खरीदने और बागवानी करने में ज़्यादा खर्चा आता है। एक बार पौधे लगाने के बाद आप 15-20 साल तक लाभ ले सकते हैं।
अंगूर की खेती कैसे करे
मिटटी का चयन :
अंगूर की खेती के लिए काली दोमट मिटटी और रेतीली मिटी को सबसे अच्छी मिटटी माना जाता है। परन्तु उस मिटटी का ph 5-7 तक होना चहिये। 5-7 ph वाली मिटटी अच्छी गुणवत्ता वाली मानी जाती है।
रोपाई से पूर्व मिट्टी की जाँच अवश्य करवा लें. खेत को भलीभांति तैयार कर लें. बेल की बीच की दुरी किस्म विशेष एवं साधने की पद्धति पर निर्भर करती है. देश के अलग अलग हिस्सों के मौसम के अनुसर रुपाई की जाती है। इन सभी चीजों को ध्यान में रख कर 90 x 90 से.मी. आकर के गड्ढे खोदने है।
अंगूर की प्रमुख विविधता : खेती का बिजनेस आइडिया
- अनब-ए-शाही :
यह खास तौर से आंध्र प्रदेश, पंजाब, हरियाणा और कर्नाटक जैसे राज्यों में उगाई जाती है।क्योकि इस किस्म के अंगूर की खेती विभिन्न कृषि जलवायु स्थितियों के लिए अनुकूल होती है। यह अंगूर की खेती देर से परिपक्व होने वाली और भारी पैदावार वाली है। इस किस्म के अंगूर की खेती औसतन 35 तन का उत्पादन देती है। इसे बहुत ही अच्छी गुडवत्ता वाला अंगूर मन जाता है, ज्यादातर इस्तेमाल किया जाता है।
- बंगलौर ब्लू :
इस किस्म के अंगूर कर्नाटक में उगाए जाते है। इसका उपयोग मुख्यत: जूस और शराब बनाने में होता है। यह एन्थराकनोज से प्रतिरोधी है लेकिन कोमल फफूदी के प्रति अतिसंवेदनशील है।
- अरका नील मणि :
यह ब्लैक चंपा और थॉम्पसन सीडलेस के बीच एक क्रॉस है। प्रति हेक्टेयर 25 टन तक प्रोडक्शन होता है।
- गुलाबी:
तमिलनाडु में उगने वाली इस इस किस्म के अंगुर औसतन 10 से 12 टन का उत्पादन देते है।
- काली शाहबी:
इस किस्म के अंगूर को छोटे पैमाने पर महाराष्ट्र और आंध्र प्रदेश राज्यों में उगाए जाते है। औसतन उपज 10-12 टन/ हेक्टेयर है।
- अरका राजसी :
यह अंगूर कलां और ब्लैक चंपा के बीच एक क्रॉस है। इसका फल गहरे भूरे रंग का होता है। करीब 30 टन प्रति हेक्टेयर तक प्रोडक्शन होता है।
- अरका कृष्णा:
यह ब्लैक चंपा और थॉम्पसन के बीच एक क्रॉस है। इसका फल ब्लैक कलर का होता है। जूस बनाने के लिए यह सबसे बेहतर वैराइटी होती है, क्योंकि इसमें सीड नहीं होते हैं।
सिंचाई:
अंगूर की रोपाई करने के 10 से 15 दिन बाद पौधो में वृद्धि दिखने लगती है। सर्दी के मौसम में 10 से 15 दिन के अंतराल पर सिंचाई की जरूरत पड़ती है। टपक (ड्रिप) सिंचाई प्रणाली एक नवीन पद्धति द्वारा सिंचाई करना सबसे बेहतर माना जाता है। इससे आसानी से पौधो को उसके जरूरत के मुताबिक पानी मिल जाता है।
कम पानी वाले इलाकों में भी इस टपक (ड्रिप) सिंचाई प्रणाली पद्धति की मदद से अंगूर की अच्छी खेती की जा सकती है। ध्यान रखने वाली बात यह है कि बरसात के सीजन में अंगूर के पौधो को खास देखभाल की आवश्कता होती है। इस मौसम में अगर पौधो को पानी से नहीं बचाया गया तो नुकसान हो सकता है।
निष्कर्ष :
मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, जैसे दक्षिण भारत के राज्यों के क्षेत्र अंगूर की खेती के लिये अच्छे माने जाते है। करीब एक एकड़ के क्षेत्र में अंगूर की खेती के लिए 4 से 5 लाख रुपए का खर्चा आ सकता है। दो से तीन साल के बाद पौधे तैयार होने लगते है और उनमे फल आने लगते हैं। एक एकड़ जमीन पर करीब 10 टन का प्रोडक्शन हो सकता है। ऐसे में अगर 80 रुपए किलो के हिसाब से भी फल बिकते हैं तो आपको 8 लाख रुपए तक का मुनाफा हो सकता है।
अच्छी बात यह है कि अंगूर के पौधे एक बार तैयार होने के बाद 15-20 साल तक फल देते है। यानी बार-बार पौधे लगने की जरुरत नहीं पड़ती है। जिससे की पौधे लगाने की लागत काम हो जाती है साथ ही अगर आप दवा और बियर कंपनियों से समझौता करे तो इससे आपको अधिक मुनाफा होगा क्योंकि दवा और बियर बनाने वाली कंपनियां बड़े लेवल पर अंगूर खरीदती हैं। जिस से आपके नुकसान मे भी कमी आएगी और मुनाफा ज़्यादा होगा।
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